इस युद्ध मे भगवान कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ बचे थे क्योंकि उनकी माता को वरदान प्राप्त था कि तुम्हारे पुत्र के ऊपर कोई श्राप असर नहीं करेगा। वज्रनाभ द्वारिका के अंतिम शासक थे जिन्होंने एक सप्ताह से भी कम द्वारिका मे राज्य किया। भगवान कृष्ण के परमधाम जाने के बाद वज्रनाभ भी अर्जुन के साथ हस्तिनापुर गए। बाद में अर्जुन के पौत्र परीक्षित हस्तिनापुर में राज गद्दी में बैठते हैं और भगवान कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ को इंद्रप्रस्थ के राज गद्दी में बैठाया गया। परीक्षित और वज्रनाभ ने मिलकर मथुरा, ब्रज, वृंदावन में भगवान कृष्ण के लीला स्थलों की पुनः खोज की।
No comments:
Post a Comment