🙏जय जय श्री राधे🙏
बहुत से लोग तो कहते हैं कि भगवान है ही नहीं.... लोग कहते हैं यदि वो है तो उनको दिखाओ कि वो कहाँ हैं ?....
देखो... सबसे बड़ी बात है कि भगवान को देखा तो जा सकता है लेकिन भगवान को दिखाया नहीं जा सकता है...
बहुत शांत होकर गंभीर होकर श्रवण करना..... उसको देखना तो मुमकिन है.. पर उसको दिखाना.. ये मुमकिन नहीं है..
एक बार किसी संत के पास कोई जिज्ञासु आया और उस संत को कहा कि महाराज... तुम भगवान की बात करते हो तो मुझे दिखाओ कहाँ है तुम्हारा भगवान ?..... मुझे नजर क्यों नहीं आता...?.
तो संत ने कहा कि भइया... संत तो अनुभव की चीज है.. .मैं तुम्हें कैसे दिखाऊँ ?..
मैं अनुभव कर सकता हूँ.... मैं उनको देख सकता हूँ... मेरे भजन से प्रसन्न होकर वो मुझे अपनी झलक दिखाते हैं... पर मैं तुझे कैसे दिखाऊँ ?
उस जिज्ञासु को ये सब बातें अच्छी नहीं लगी.. उसने हठ करते हुए संत को कहा कि मुझे ये सब मत बोलो.. ये ज्ञान की बातें मुझे नहीं सुननी....
तुम दिखा सकते हो तो दिखाओ... कहाँ है तुम्हारा भगवान ?.....
संत ने उसे बहुत समझाया...भजन की..साधना की बात बताई... पर उसको कुछ समझ ही नहीं आता.. वो बार बार कहता कि तुम मुझे अपना भगवान दिखाओ... कहाँ है तुम्हारा भगवान मुझे दिखाओ....
तो संत ने एक युक्ति निकाली.... मालूम है क्या किया ?..
संत ने तुरंत एक पत्थर पास में पड़ा था.. वो पत्थर उठकर.. और जोर से उसके पैर पर मारा... इतनी जोर से वो पत्थर उसके पैर पर पड़ा कि वो व्यक्ति तड़पने लगा....
चीखने लग गया... हाय मैं मर गया.. .हाय मेरे चोट लग गई... बड़ी तकलीफ होती है.. बड़ा दर्द होता है....
जो उसने ये बात कही तो संत ने उसको हँसते हुए पूछा कि दिखा... कहाँ है तेरा दर्द ?...
दिखा मुझे कहाँ है ?
तो वो रोता रोता... तड़पता तड़पता... पीड़ा में कहता है.. अरे महाराज! दर्द को तो महसूस किया जा सकता है..
कोई दिखाया थोड़ी जा सकता है... मैं दिखाऊँ कैसे कि कहाँ है मेरा दर्द....
तो संत ने हंसकर कहा.. पागल... इसी तरह से परमात्मा को दिखाया नहीं जा सकता..
पर उसको देखा जा सकता है.. उसका दर्शन किया जा सकता है.....
जिसपर वो कृपा कर दें उसको बांके बिहारी का दर्शन हो जाता है...
बोलो बाँके बिहारी लाल की जय
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