एक ट्रेन के कोच में कुछ लोग भजन गा रहे हैं।वहीं पास ही बैठी एक मुस्लिम महिला भजन के कारण अपने दोनों कानों पर हाथ रखें बैठी है।
मैंने देखा कि यह महिला भजन सुनकर अपने दोनों कानों पर हाथ रखें बैठी है।मुझे यह जाने की जिज्ञासा थी कि आखिर वह ऐसा क्यों कर रही हैं ?
जैसे ही ट्रेन का अंतिम स्टेशन आया और सभी एक-एक करके उतरने लगें।यह महिला वहीं बैठी रही।यह सोच रही थी कि सबसे बाद में उतरूंगी।
जब सभी उतर गए तो मैंने एकांत देखकर इस महिला से पूछा कि भजन सुनकर आपने अपने कानों पर हाथ क्यों रख लिया था।
महिला बोली :- बाबा ले लोग बहुत शोर मचा रहे थे और मुझे शोर बिल्कुल पसंद नहीं है।
मैंने कहा :- नहीं आपके चहरे का भाव तो उस समय कुछ और कह रहा था।
महिला सकुचाते हुए समझ गई कि बाबा ने मेरा चहरा पढ़ लिया है।अब उसने वह सब बताना प्रारंभ किया जो उसके भीतर चल रहा था।
महिला :- बाबा असल बात यह है कि मैंने बचपन से जितनी खुदा की इबादत की।उससे कहीं अधिक तुम्हारे इस मोर मुकुट वाले के किस्से सुनें हैं।अम्मी जान अक्सर बताया करती थी कि हिंदुओं का एक सावला सा खुदा हैं।जो हाथ में बांसुरी लिए रहता है।सिर पर मोर मुकुट धारण किए रहता है।पीली पिताम्बर हैं इत्यादि-इत्यादि।
अम्माँ कहती थी :- ना कभी भी उसका नाम सुनना और ना ही उसके किसी भी रूप की ओर देखना।यदि ऐसा किया तो उस जादूगर का जादू तुम पर भी चल जाएगा ।उन्होने मुझे बहुत से उदाहरण भी दिए हैं।
जैसे :- रसखान जी,
कबीर बाबा,
ताज बेगम,
वाजिद अली शाह,
अमीर खुसरो,
सालबेग,
बादशाह अकबर आदि।
बहुत लम्बी लिस्ट हैं।यदि सबके नाम बताने बैठी तो शाम हो जाएगी।इन सब पर उस मोर मुकुट वाले का जादू सिर चढ़कर बोला है।बस इसी डर से की कहीं उसके नाम का भजन सुनकर मैं भी बावली ना हो जाऊं।इसलिए मैंने कानों पर हाथ रख लिए थे।अच्छा बाबा चलती हूँ।पहले ही बहुत देर हो गई हैं।
वह महिला तो चली गई,परन्तु मैं वहीं बैठा उस महिला के बारे में सोचता रहा कि धन्य है यह महिला जिसे इतना तो पक्का विश्वास है कि यदि उस मोर मुकुट वाले का नाम भी सुन लिया तो १०० % उसका जादू मेरे उपर चल जाएगा।
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